Saturday, December 15, 2012

तुम मेरी तरफ झांकती भी हो



तुम मेरी तरफ
झांकती भी हो
मुझसे मिलना भी
चाहती हो
पर तुम्हारे मन का
दरवाज़ा
बहम के ताले में बंद है
दिल के दरीचों पर
शक की सलाखें लगी हैं
चाहते हुए भी
मिल नहीं पाती हो
अगर मेरी चाहत तुम्हें
तडपाती है
तो शक की सलाखों को
तोड़ना होगा
बहम के ताले को
खोलना होगा
नहीं तो ज़िन्दगी भर
घुट घुट कर जीना होगा
दरीचे =खिड़कियाँ
963-82-15-12-2012
बहम,शक,शायरी ,

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