Saturday, December 15, 2012

जो भी हँस कर मिलता मुझसे



जो भी
हँस कर मिलता मुझसे
उस से ही मिल लेता हूँ
कुछ पल हँस लेता हूँ
सोचता नहीं हूँ
कब तक साथ हंसेगा
कब तक साथ निभाएगा
जिनसे थी आशाएं
खाई थी अनगिनत कसमें
जीवन भर साथ निभाने की
जिन्हें माना था जीवन ज्योती
वो ही जब
बिना बताये चले गए
घनघोर
अन्धेरा पीछे छोड़ गए
किसी और से क्या आशा करूँ
जो भी
दो पल हँस कर मिलता
अब उसे ही अपना
समझता हूँ
958-77-15-12-2012
मित्र,मित्रता,जीवन,साथी,

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