Wednesday, December 19, 2012

झूलती ज़िन्दगी



अलगनी पर टंगे
छोटे मोटे नए पुराने कपडे
जैसी टंग गयी है ज़िन्दगी
समय की तेज़ हवाओं में
झूल रही है ज़िन्दगी
नए पुराने लोगों के बीच
अटक गयी है ज़िन्दगी
जो मुझे भुला चुके
उन्हें भुला नहीं पा रहा हूँ
ना ही नयों को पूर्ण ह्रदय से
अपना बना पा रहा हूँ
नए पुराने के झंझावत में
उलझ गया हूँ
यादों के चक्रवात में
फंस गया हूँ
965-84-19-12-2012
यादें ज़िन्दगी,

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