Saturday, December 15, 2012

मन रोता सत्य देखने को आज



मन रोता
सत्य देखने को आज
चारों ओर
झूठे बड़बोलों का राज
छा रहा हर मन में
घनघोर अन्धेरा आज
ह्रदय तड़पता
प्रेम की आस में आज
अहम् इर्ष्या का नंगा
नाच हो रहा
इंसान इंसान का
दुश्मन हो गया आज
संबंधों में पड़ गयी दरार
भाई भाई की ले रहा जान
दोस्त बन गया
सबसे बड़ा दुश्मन आज
स्वार्थी हो गया संसार
साज़ बाज़ रहे
बिना सुर के आज
कैसा आया
यह काल प्रभु आज
कैसा आया
यह काल प्रभु आज
950-69-15-12-2012
जीवन,मन,सत्य,सम्बन्ध,अहम्,स्वार्थ,इर्ष्या,द्वेष, अहम्  

No comments: