Tuesday, December 11, 2012

जब चुपके से बुढापा आया



जब चुपके से बुढापा आया
तो बढ़ती उम्र से घबरा गया
मन की व्यथा छुपा ना सका
एक दिन उम्र से ही पूछ लिया
क्यों इतनी तेज़ी से बढ़ती हो
तारीख बदलती है
ज़िन्दगी एक दिन कम
हो जाती है
तुम एक दिन बढ़ जाती हो
थोड़ा सा धीरे नहीं चल
सकती हो
जितना एक दिन में बढ़ती हो
उतना पांच सात दिन में
नहीं बढ़ सकती हो ?
उम्र मुस्काराते हुए बोली
जीवन भर आवश्यकता से
अधिक तेज़ चलते रहे
धन कमाने की होड़ में
सेहत को भूलते रहे
अब जब संसार से
विदा होने की बेला
समीप आने लगी
तो डरने लगे हो
तुम तो मौक़ा खो चुके
फिर भी सेहत का जितना
ध्यान रख सकते हो रख लो
मगर अपने छोटों को तो
अच्छी सेहत के लाभ
जो भूल तुमने करी
उन्हें तो उससे बचा लो
तुम्हारी उम्र बढे ना बढे
उनकी तो बढ़ा दो
933-52-12-12-2012
बुढापा,सेहत,स्वास्थ्य,उम्र,

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