Saturday, December 15, 2012

हमने आज़ाद हो कर क्या देखा



हमने आज़ाद हो कर
क्या देखा
देखा जो खवाबों में भी
नहीं सोचा
रिश्तों को
तार तार होते देखा
बेटे को बाप को
गाली देते देखा
माँ बहन को सरे बाज़ार
ज़लील होते देखा
कमज़ोर को ताकतवर से
मार खाते देखा
गरीब को
और गरीब होते देखा
किसानों को
आत्मह्त्या करते देखा
बेईमानों को
मालामाल होते देखा
राज़ करने वालों को
ऐशों आराम करते देखा
अब आम आदमी को 
आम आदमी के लिए
राज करने के सिवाय
कुछ देखने की इच्छा
बाकी नहीं है
949-68-15-12-2012
स्वाधीनता,आजादी,आज़ाद,देश

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