पहली बार
जब चढ़ा था
पर्वत पर कोई
हाथ उसके खाली थे
ना कोई औजार
ना कोई सहारा
ना हथियार
ना पैरों में जूते थे
केवल लगन,होंसला
हिम्मत उसके साथ थे
आँखों में था सपना
पर्वत पर विजय पाने का
इन्ही के सहारे जीता था
उसने पर्वत को
क्यों फिर तुम घबराते हो
याद कर के उस महान
इंसान को
तुम भी जुट जाओ
उसकी हिम्मत
होंसले,लगन से
प्रेरित हो कर
आगे को बढ़ जाओ
तुम को भी एक दिन
सफलता मिलेगी
लक्ष्य तुम भी पाओगे
07-03-2012
315-49-03-12
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