221--02-11
शक्ल तेरी
देखने को तरस गए
तुझे देखे बरस हो गए
तुझे याद हो ना हो
मेरे दिल में क़ैद हो
हर अंदाज़ तेरा
जहन में ज़ज्ब है
हर लब्ज जो बोला तूनें
कानों में गूंजता निरंतर
तीर-ऐ-निगाह से जो
ज़ख्म दिए तूनें
हैं ताज़ा अब तक
बरस दर बरस गुजर जाएँ
पानी दरिया में कितना भी
बह जाए
यकीन मेरा ख़त्म
ना होगा
सामने तुझे एक दिन
आना होगा
दीदार अपना कराना
होगा
06-02-2011
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