Tuesday, February 8, 2011

हमें रुला के चैन से ना रह पाओगे

220--02-11


हमें रुला के
चैन से ना रह पाओगे
खैर कब तक मनाओगे
इक दिन तुम्हें भी
रोना होगा
दुखेगा दिल तुम्हारा
जब ख्याल आयेगा
हमारा
निरंतर पैगाम भेजोगे
मिन्नतें मिलने की
करोगे
दिख जायेंगे गर कहीं
दौड़ कर लिपट जाओगे
ग़मे-हिज़्राँ से निजात
पाओगे
06-02-2011

ग़मे-हिज़्राँ =विरह का दु:ख

No comments: