Tuesday, February 8, 2011

तुम्हें देख लिया,फ़साना ज़िन्दगी का समझ आ गया


219--02-11

तुम्हारे
दीदार से पहले
चाँद को तवज्जो
ना दी
ना ठंडक चांदनी की
महसूस की
ना गीत गाने का
मन किया
ना इंतज़ार कभी
किसी का किया
कोई तड़पता भी होगा
कभी ख्याल ना आया
सूरत तुम्हारी चाँद सी
लगती
घूंघट हटाते ही चांदनी
बरसती
निरंतर
माहौल-ऐ-बेफिक्री में
आगाज़ बेचैनी का हुआ
ठहरे हुए पानी में
उबाल आया
नशा मोहब्बत का
छा गया
फ़साना ज़िन्दगी का
समझ आ गया
06-02-2011

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