Tuesday, February 8, 2011

इज़हार-ऐ-मोहब्बत क्या कीजिए

217--02-11


इज़हार-ऐ-मोहब्बत
क्या कीजिए
कान उनके बंद ,
लब सिले हुए,
जहन पर पर्दा पडा
दिल नफरत से भरा
सीने में छुपा रखा
निगाहों से शोले बरसते
हर किसी को शक से देखते
जाने कितनों के दिल तोड़े
कितने खुद को भूले
निरंतर
तड़पाया आशिकों को
अब बात मेरी मान लो
आइना देख लो
ना तडके तो
पलट कर चेहरा
छुपा लो
नाम मेरा बदल दो
जो तडके तो
नफरत मिटा दो
दिल से दिल मिला
लो
06-02-2011

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