सोलहवां साल
सोलहवां साल का
अल्हड़पन
दिल-ओ-दिमाग में
चढ़ता
सोलहवां साल भी
ख़त्म होगा
सोलहवें साल में
याद नहीं रहता
सूने नयनों से
सूने नयनों से
आंसूं मोती बन कर
बहते
मन की पीड़ा
दर्शाते
सपना
सपना तो भ्रम
होता
विचारों में पलता
बंद आँखों से भी
दिखता है
एक पूरा होता
दूसरा दिखता
सुनना
सब
सुनाना चाहते
सुनना
कोई ना चाहता
सज़ा- पूजा
दुष्कर्म करो
फिर पूजा करो
सज़ा से बचो
समय
हर काम के लिए
फिर भी समय नहीं
परमात्मा के लिए
समय
नहीं शरीर के लिए
क्योंकी ?
समय नहीं
हर काम के लिए
फिर भी समय नहीं
परमात्मा के लिए
समय
नहीं शरीर के लिए
क्योंकी ?
समय नहीं
सच्ची सहेलियां
दिल की धड़कन
शरीर की सांसें
साथ घटती,बढ़ती
सवाल - जवाब
सवाल
सब के साथ
इमानदारी
क्या हर समय
संभव है ?
इमानदार जवाब
संभव नहीं है
सत्य -असत्य
खुद के बारे में कहा
कटु सत्य हो
या असत्य हो
दोनों शूल से चुभते
गहराई तक घाव
करते
प्रेमियों के दिल
प्रेमियों के
दिल शीशे के होते हैं
ज़रा सी
ठेस से टूट जाते हैं
दो पागल
प्रेमिका के प्रेम में
प्रेमी पागल
प्रेमी के प्रेम में
प्रेमिका पागल
प्रेम क्या ख़ाक करेंगे
दो पागल
दुःख
दुःख की
कोई सीमा या
परिभाषा
नहीं होती
दुःख
दुःख होता है
08-12-2011
1847-15-12
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