मैंने समझा
तुम भी ग़मज़दा हो
मेरी तरह
तुम्हें भी कोई साथ
चाहिए
अंदाज़ मेरा गलत
निकला
तुम ग़मज़दा भी हो
खौफज़दा भी हो
लगता है
खूब भुगता है तुमने
लोगों की फितरत को
नतीजतन दोस्ती की
इल्तजा को ठुकरा दिया
बेदिलों की भीड़ में
मुझे भी
शामिल कर दिया
बेगुनाह को गुनाहगार
करार दे दिया
दहशत ने शक
दिल में बसा दिया
12-12-2011
1856-24-12
No comments:
Post a Comment