उसने
कविता लिखना
प्रारम्भ किया
कविताओं का चर्चा
शहर में होने लगा
आम आदमी को
कविताओं में कही
बातों का
अर्थ समझ आने लगा
वो स्वयं को सफल
कवी समझने लगा
निरंतर बिना रुके
कवितायें लिखने लगा
एक दिन
साहित्य से जुड़े
बुजुर्ग मित्र ने कविताओं में
निखार लाने के लिए
नामचीन कवियों की
कविताओं को पढने का
परामर्श दिया
उसने कविताओं को
अलंकरणों,छंदों,एवं शुद्ध
साहित्यिक शब्दों से
सुसज्जित पाया
समझने के लिए
मष्तिष्क पर
जोर डालता रहा
शब्द कोष छानता रहा
आम भाषा में लिखने
वाले को
कविता का अर्थ समझ
आ गया
सर पर मानों घड़ों
पानी पड़ गया
कबीर,रहीम को लोग
अब तक
क्यों याद करते हैं ?
जानने के लिए सर
खुजाने लगा
21-12-2011
1878-46-12
No comments:
Post a Comment