खार सहता रहा
दूसरों पर
मोहब्बत लुटाता रहा
अश्कों को हंसी से
छुपाता रहा
दिल में रोता रहा
सुकून की तलाश में
निरंतर भटकता रहा
ना वफ़ा मिली
ना सुकून मिला
उम्मीद में
वक़्त गुजारता रहा
ना शिकवा
ना शिकायत किसी से
जो लिखा था किस्मत में
भुगतता रहा
ग़मों से
दोस्ती निभाता रहा
तन्हाई में जीता रहा
12-12-2011
1854-22-12
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