Monday, December 12, 2011

अपनों का खार सहता रहा

अपनों का
खार सहता रहा
 दूसरों पर
मोहब्बत लुटाता रहा
अश्कों को हंसी से
छुपाता रहा
दिल में रोता रहा
सुकून की तलाश में
निरंतर भटकता रहा
ना वफ़ा मिली
ना सुकून मिला
उम्मीद में
वक़्त गुजारता रहा
ना शिकवा
ना शिकायत किसी से
जो लिखा था किस्मत में
भुगतता रहा
ग़मों से
दोस्ती निभाता रहा
तन्हाई में जीता रहा 
12-12-2011
1854-22-12

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