Tuesday, December 27, 2011

कुछ फूल मेरे बगीचे में भी खिल जाए


कुछ फूल
मेरे बगीचे में भी
खिल जाए
काटों के बीच कुछ
महक भी  मिल जाए
ना जाने क्यूं
हर पेड़ सूख जाता
मेरे हाथों में
लाख कोशिश करूँ
जिलाने की
 कामयाबी फिर भी
 हाथ ना आए
उमीदें भी थक गयी
दिलासा देते देते
कुछ तो ऐसा हो जाए
चेहरे पर फिर से
मुस्कान आ जाए
कुछ फूल
मेरे बगीचे में भी
खिल जाए
27-12-2011
1897-65-12

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