Friday, December 23, 2011

बूँद बूँद से घडा जो भरना है


देश में
नया प्रधानमंत्री बने
या कहीं पर आग लगे
कहीं बम विस्फोट हो
किसी को खेलों में तमगा
मिला हो
कहीं तूफ़ान आये या कोई
घोटाला करे
उसे मतलब नहीं किसी
बात से
मतलब हो भी तो
चेहरे से नहीं झलकता
मन के विचार किसी को
नहीं बताता
अखबार वामपंथी हो या
दक्षिणपंथी 
किसी भी विचारधारा का हो
कोई भी मालिक हो
उसे केवल अखबार बेचने से
मतलब
ग्राहक बढाने से मतलब
अखबार की एक प्रति  पर
दस पैसे
कमीशन जो मिलता है
उसी से उसका घर चलता है
हर मौसम में
सुबह चार बजे उठ कर
घर घर जाकर अखबार बांटने
निकल पड़ता
शहर में बंद हो या जलसा
त्योंहार
दीपावली का हो या ईद का
खुद बीमार हो या घर में
कोई बीमार हो
उसे तो अपना पेट पालना है
कोई पढ़े या ना पढ़े
 हिन्दू का
 घर हो या मुसलमान का
ख़बरों को पढ़ कर कोई 
कुढ़े या खुश हो
उसे कोई मतलब नहीं
कोई उसे होली दीपावली
इनाम के तौर पर
पांच पैसे भी नहीं देता
कभी देर हो जाए तो
उल्हाना अवश्य मिलता
उसे तो सिर्फ अखबार
बांटना है
बूँद बूँद से घडा जो
भरना है
23-12-2011
1883-51-12

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