Friday, December 16, 2011

अंजाम क्या होगा ?



दिल को लाख
मगर रुका नहीं
मनाया तो माना नहीं
उनको देखते ही
मचलने लगा
उसे मंजिल का पता
चल गया
सपनों की दुनिया में
खो गया
दिल बेचारा गुलाम
हो चुका था
मोहब्बत के जाल में
फंस चुका था
अंजाम क्या होगा ?
सिर्फ खुदा को पता था
उसे तो निरंतर
रातों को जागना था
इंतज़ार में जीना था
16-12-2011
1866-34-12

7 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब सर!

----
कल 19/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत खूब सर..
सादर...

Anju (Anu) Chaudhary said...

waah ...umdaa

मेरा मन पंछी सा said...

bahut sundar rachana hai....

Madan Mohan Saxena said...

वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...