हँसने की
आदत थी हमारी
अब मुस्कारने में भी
दिक्कत होती है
कभी रोने की फितरत
नहीं थी हमारी
अब बहुत ज़ल्द आँखें
नम होती हैं
अलमस्त घूमते थे कभी
अब घर से
बाहर निकलने की
इच्छा भी नहीं करती
ऐसा नहीं
की कमज़ोर हैं हम
क्या करें
उस दौर की यादें तंग
करती हैं
निरंतर हँसते चेहरे पर
मायूसी लाती हैं
20-12-2011
1872-40-12
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