Wednesday, December 14, 2011

ना जाने ऐसा ये क्यों हो रहा है?


ये ज़मीं रो रही है 
ये आसमां रो रहा है

इंसान से इंसान
नफरत कर रहा है
माँ बाप से बच्चों का
मोह भंग हो रहा है
ये दिल रो रहा है
ये मन रो रहा है
ना जाने ऐसा
ये क्यों हो रहा है?
भाई बहन में प्यार
ख़त्म हो रहा है
रिश्तों में खटास
पैदा हो रहा है
ये ज़मीं रो रही है
ये आसमां रो रहा है
ना जाने ऐसा
ये क्यों हो रहा है?
प्यार भाईचारे का
नामोंनिशाँ ख़त्म
हो रहा है
अपनों का अपना
,पराया समझ रहा है
दोस्त की पीठ में
दोस्त छुरा भौंक रहा है
बड़े छोटे में फर्क कम
हो रहा है
हर शख्श अपने लिए
जी रहा है 
ये दिल रो रहा है
ये मन रो रहा है
ना जाने ऐसा
ये क्यों हो रहा है?
दिलों में निरंतर रंज
घर कर रहा है
हर शख्श 
चेहरे पर चेहरा 
लगा कर घूम रहा है
दुनिया को दिखाने को
हंस रहा है
पल पल मर रहा है
जीने का नाटक
कर रहा है
ये ज़मीं रो रही है
ये आसमां रो रहा है
ये दिल रो रहा है
ये मन रो रहा है
ना जाने ऐसा
ये क्यों हो रहा है?
ना जाने ऐसा
ये क्या हो रहा है ?
14-12-2011
1861-29-12

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