Friday, December 9, 2011

शुक्रिया आपका


एक नया
अहसास दिया आपने
जहन से पर्दा उठाया
आपने 
ज़िन्दगी जीने का
मकसद समझाया
आपने
फिर से हँसने का
रास्ता दिखाया
आपने
ग़मों में डूबे रहने का
सबब बताया
आपने
गिर कर उठने का
तरीका सिखाया
आपने
शुक्रिया आपका
सूखे लबों को फिर से
थिरकाया आपने
निरंतर रोते हुए को
हँसाया आपने 
09-12-2011
1848-16-12

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