Thursday, December 1, 2011

जिसके जलन होती उसका दर्द वही जानता (हास्य कविता)


राह चलते हँसमुखजी को
आँसू बहाते
एक महिला दिख गयी
उनसे  देखा ना गया
उसके पास जाकर दिलासा
देते हुए कहने लगे
हिम्मत और सब्र से काम लो
तुम्हारे दुःख दूर हो जायेंगे
रोते ,भन्नाते हुए  महिला बोली
क्या ख़ाक हिम्मत रखूँ
एक हफ्ते में पांचवी बार
आँखों में मिर्ची गिर गयी
जलन के मारे
मेरी जान निकल रही है
तुम्हें सब्र की पडी है
उसने हँसमुखजी
के आँख में मिर्ची झोंक दी
अब तुम सब्र से काम लेना
हिम्मत से
दर्द और जलन सहना
कहते  हुए
उनका बैग लेकर भाग गयी
हँसमुखजी
अब किसी भी महिला को
रोते देखते हैं
उसे दिलासा ज़रूर देते हैं
पर साथ में कहते हैं
निरंतर हिम्मत और सब्र से
जलन कम नहीं होती
जिसके जलन होती
उसका दर्द वही जानता
30-11-2011
1832-97-11-11

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