उनका
ज़िक्र ही काफी है
ज़िक्र ही काफी है
दिल जलाने के लिए
उनकी याद ही काफी है
अब रुलाने के लिए
उनकी रुसवाई देख ली
हँसते हँसते जान लेने की
अदा देख ली
वादों की कुर्बानी देख ली
दोजख का
अहसास कर लिया
ज़मीं पर
अब कुछ बाकी नहीं
देखने के लिए
24-12-2011
1887-55-12
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