Saturday, December 24, 2011

उनकी याद ही काफी है अब रुलाने के लिए

उनका
 ज़िक्र ही काफी है
दिल जलाने के लिए
उनकी याद ही काफी है
अब रुलाने के लिए
उनकी रुसवाई देख ली
हँसते हँसते जान लेने की
अदा देख ली
वादों की कुर्बानी देख ली  
दोजख का
अहसास कर लिया
ज़मीं पर
अब कुछ बाकी नहीं
देखने के लिए
24-12-2011
1887-55-12

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