Thursday, December 22, 2011

अति से विनाश



घर के बागीचे  में
गुलमोहर का पेड़ लगाया
दिल से 
उसकी रखवाली करी
निरंतर पानी से सींचा
भर भर कर उसमें
खाद डाली
मन में खूब आशाएं 
पाली
कभी लह्केगा ,
लाल पीले फूलों से
बागीचे में रौनक 
फैलाएगा
पक्षियों को लुभाएगा
पक्षी उस पर बसेरा
बनायेंगे
चहचाहट  से
नीरस वातावरण को
मुखरित करेंगे
बामुश्किल पेड़ थोड़ा
बड़ा हुआ
अचानक एक दिन
मुरझाने लगा
अंत में सूख गया
आशा निराशा में
बदल गयी
बहुत सोचा पर
कारण नहीं समझ
पाया
जब तक किसी ने उसे
नहीं बताया
आवश्यकता से अधिक
पानी और खाद ने उसे
समय से पहले ही मुरझाया

अति से विनाश भी
हो सकता है
उसे पता चल गया 

21-12-2011
1879-47-12

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