घर के बागीचे में
गुलमोहर का पेड़ लगाया
दिल से
उसकी रखवाली करी
निरंतर पानी से सींचा
भर भर कर उसमें
खाद डाली
मन में खूब आशाएं
पाली
कभी लह्केगा ,
लाल पीले फूलों से
बागीचे में रौनक
फैलाएगा
पक्षियों को लुभाएगा
पक्षी उस पर बसेरा
बनायेंगे
चहचाहट से
नीरस वातावरण को
मुखरित करेंगे
बामुश्किल पेड़ थोड़ा
बड़ा हुआ
अचानक एक दिन
मुरझाने लगा
अंत में सूख गया
आशा निराशा में
बदल गयी
बहुत सोचा पर
कारण नहीं समझ
पाया
जब तक किसी ने उसे
नहीं बताया
आवश्यकता से अधिक
पानी और खाद ने उसे
समय से पहले ही मुरझाया
अति से विनाश भी
हो सकता है
उसे पता चल गया
21-12-2011
1879-47-12
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