Friday, December 23, 2011

हर तूफ़ान के बाद चलती हैं अमन की हवाएं


हर तूफ़ान के बाद
चलती हैं
अमन की हवाएं
काली रात के बाद
जगमाती हैं
सूरज की किरनें
ज़मीं को नहलाती हैं
सुनहरी धूप
रंजो गम की दुनिया से
निकल जाओ
ज़ज्बे को टूटने ना दो
सब्र से
 वक़्त को गुजरने दो
फिर से हँसने का
इंतज़ार करो
निरंतर
दुआ खुदा से करो
वो दिन भी आयेगा
जब चेहरा फिर से
मुस्कराएगा
दिल-ओ-दिमाग का
सुकून लौट जाएगा
23-12-2011
1882-50-12

1 comment:

ASHOK BIRLA said...

आशाओं से भरे भाव ...और विश्वास से पूर्ण इरादे ...दुःख को जीत लेने का यकीं ...और सुख के आने की उम्मीद ....हर नजरिये से ये कविता जीवन की कठिन राहों से गुजरने में होसले को मजबूत करने में सक्षम है !! इसे अच्छा या बहुत सुन्दर कहने से काम नहीं चलेगा ..तो में कुछ बेहतरीन सब्दों की तलाश में था ...... लोगो के लिए अमृत है ये काव्य ..... !!!!