हर तूफ़ान के बाद
चलती हैं
अमन की हवाएं
काली रात के बाद
जगमाती हैं
सूरज की किरनें
ज़मीं को नहलाती हैं
सुनहरी धूप
रंजो गम की दुनिया से
निकल जाओ
ज़ज्बे को टूटने ना दो
सब्र से
वक़्त को गुजरने दो
फिर से हँसने का
इंतज़ार करो
निरंतर
दुआ खुदा से करो
वो दिन भी आयेगा
जब चेहरा फिर से
मुस्कराएगा
दिल-ओ-दिमाग का
सुकून लौट जाएगा
23-12-2011
1882-50-12
1 comment:
आशाओं से भरे भाव ...और विश्वास से पूर्ण इरादे ...दुःख को जीत लेने का यकीं ...और सुख के आने की उम्मीद ....हर नजरिये से ये कविता जीवन की कठिन राहों से गुजरने में होसले को मजबूत करने में सक्षम है !! इसे अच्छा या बहुत सुन्दर कहने से काम नहीं चलेगा ..तो में कुछ बेहतरीन सब्दों की तलाश में था ...... लोगो के लिए अमृत है ये काव्य ..... !!!!
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