क्या सोचता होगा साज़?
जब खेलती नहीं
ऊँगलिया उससे
बजाता नहीं
कई दिनों तक उसे कोई
निकालता नहीं कोई
सुर नया
पौंछता नहीं जमी हुयी
धूल कोई
पूँछता होगा सवाल
खुद से
जवाब नहीं मिलता
होगा कोई
उसी तरह बजता है
निकालता है सुर वही
कई दिनों के बाद जब
छेड़ता है उसे कोई
क्यों व्यथित
हो जाता है मन
कई दिनों तक जब
मिलता नहीं हमें
अपना कोई
14-02-2012
170-81-02-12
1 comment:
कई दिनों के बाद जब
छेड़ता है उसे कोई
क्यों व्यथित
हो जाता है मन
कई दिनों तक जब
मिलता नहीं हमें
अपना कोई!
beautiful......
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