दर्द हद से
गुजरने लगा
आखों से
आंसू बहाने लगा
हालात से लड़ना
मुश्किल हो गया
दिन के उजाले में
अन्धेरा छा गया
खुद को अकेला
समझने लगा
तभी ज़िन्दगी में
खुदा ने एक
अजनबी को भेजा
उसने आँखों के
आंसू पौंछे
ज़ख्मों पर मरहम
लगाया
होंसला बढाया
ज़हन में छाये
अँधेरे कोहटाया
जीने का अर्थ
समझाया
खिजा सी
ज़िन्दगी को
बागे बहार में
बदला
वो अजनबी नहीं
एक मसीहा है
मेरे लिए
10-02-2012
139-50-02-12
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