मैंने सोचा
आज कुछ नहीं लिखूं
कलम को विश्राम दे दूं
कलम को पता चला
तो बुरा मान गयी
तुरंत बोली
कुछ तो ख्याल करो मेरा
खूब ऊंगलियों में
दबाया तुमने मुझको
जैसा चाहा,जब चाहा
चलाया मुझको
मन के भाव
कलम को विश्राम दे दूं
कलम को पता चला
तो बुरा मान गयी
तुरंत बोली
कुछ तो ख्याल करो मेरा
खूब ऊंगलियों में
दबाया तुमने मुझको
जैसा चाहा,जब चाहा
चलाया मुझको
मन के भाव
दुनिया को बताने का
साधन बनाया मुझको
मैंने हँसते हँसते
मैंने हँसते हँसते
सदा साथ निभाया
तुम्हारे विचारों को
कागज़ पर उकेरा
ना कभी रुकी
ना शिकायत करी
निरंतर चलती रही
फिर आज क्यों नहीं
लिख रहे हो कुछ
क्यों व्यथित
तुम्हारे विचारों को
कागज़ पर उकेरा
ना कभी रुकी
ना शिकायत करी
निरंतर चलती रही
फिर आज क्यों नहीं
लिख रहे हो कुछ
क्यों व्यथित
कर रहे हो मुझको
यह जानते हो तुम
बिना चले
मन दुखी होता है मेरा
लगता है किसी
यह जानते हो तुम
बिना चले
मन दुखी होता है मेरा
लगता है किसी
काम की नहीं रही
अब निर्णय को बदल दो
मुझे खुश कर दो
कम से कम
अब निर्णय को बदल दो
मुझे खुश कर दो
कम से कम
एक कविता तो
लिख दो
28-02-2012
260-171-02-12
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