बूढा शरीर अस्वस्थ
पीड़ा से त्रस्त
दर्द के मारे
पीड़ा से त्रस्त
दर्द के मारे
बैठा नहीं जा रहा था
पर आँखों में चमक
मन खुश
पर आँखों में चमक
मन खुश
ह्रदय गदगद था
दर्द का
दर्द का
अहसास ही नहीं था
कई दिनों के बाद
कई दिनों के बाद
पुत्र का पत्र आया
कानों ने
कानों ने
कर्णप्रिय संगीत सुना
महक से भरपूर
महक से भरपूर
फूल बगीचे में खिला
रंग बिरंगी सुन्दर
रंग बिरंगी सुन्दर
चिड़िया को देखा
जो भी मन चाहता था
उसे मिल गया था
जो भी मन चाहता था
उसे मिल गया था
19-02-2012
194-105-02-12
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