किसी ने नहीं समझा मुझे
अपने अपने नज़रिए से
देखा मुझे
मैं हँसा तो खुशकिस्मत
समझा मुझे
रोया तो ग़मों में डूबा
समझा मुझे
चुप रहा तो जाहिल
समझा मुझे
प्यार से बोला तो शक से
देखा मुझे
क्रोध में बोला तो
हैवान समझा मुझे
चिढ कर कुछ कहा तो
सनकी समझा मुझे
इमानदारी की
बात करी तो
बेईमान समझा मुझे
किसी ने नहीं समझा मुझे
अपने अपने नज़रिए से
देखा मुझे
18-02-2012
193-104-02-12
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