Saturday, February 18, 2012

शहर की आबो हवा बदल गयी है

शैतानी फितरत
कामयाब हो गयी है
इंसान के
दिल-ओ-दिमाग पर
हावी हो गयी है
शहर की आबो हवा
बदल गयी है
फिजा धूल मिट्टी से
भर गयी है
चिड़ियाएं मेहमान
हो गयी हैं
सडकें गाड़ियों से
पट गयीं हैं
पेड़ों की हरयाली
कम हो गयी है
ताज़ी हवा
कहानी बन गयी है
ज़मीन सोने से भी
महंगी हो गयी है
जीना मजबूरी हो
गयी है
शहर की आबो हवा
बदल गयी है
18-02-2012
187-98-02-12

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