अब खुद से
नफरत करने लगा हूँ
क्यों ऐसी
किस्मत लेकर आया हूँ
जिस का भी हाथ
पकड़ता हूँ
उसे ही रुलाता हूँ
उसकी
खुशियाँ छीनता हूँ
समझ नहीं आता
क्या इतना मनहूस हूँ ?
खुशी की चाहत में
एक और गम पाल
लेता हूँ
अब खुद की नज़र से
गिरने लगा हूँ
खुद से भी डरने
लगा हूँ
07-02-2012
118-29-02-12
नफरत करने लगा हूँ
क्यों ऐसी
किस्मत लेकर आया हूँ
जिस का भी हाथ
पकड़ता हूँ
उसे ही रुलाता हूँ
उसकी
खुशियाँ छीनता हूँ
समझ नहीं आता
क्या इतना मनहूस हूँ ?
खुशी की चाहत में
एक और गम पाल
लेता हूँ
अब खुद की नज़र से
गिरने लगा हूँ
खुद से भी डरने
लगा हूँ
07-02-2012
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