हँसमुखजी की
कुछ ना कुछ कहने की
आदत का सामना एक दिन
मुझको भी करना पडा
मुझ से बोले भाई निरंतर
क्या आप निरंतर खाते हैं
निरंतर बोलते हैं ,निरंतर सोते हैं
निरंतर जागते हैं
जो आपने अपना नाम
मुझ से बोले भाई निरंतर
क्या आप निरंतर खाते हैं
निरंतर बोलते हैं ,निरंतर सोते हैं
निरंतर जागते हैं
जो आपने अपना नाम
निरंतर रख लिया
फिर भी अगर रखना ही था तो
फिर भी अगर रखना ही था तो
उसकी जगह लगातार,बिना रुके ,
कनटीन्यूअस (continuous)
भी तो रख सकते थे
उनके बेहूदा सवाल पर
उनके बेहूदा सवाल पर
मेरा पारा चढ़ गया
उनकी बेसिर पैर की
बात करने की
उनकी बेसिर पैर की
बात करने की
आदत छुडाने का निर्णय लिया
मैंने कहा
मैंने कहा
मैं निरंतर सोचता हूँ
निरंतर हँसता हूँ
निरंतर आपके बेहूदा
निरंतर आपके बेहूदा
कारनामों और छिछोरी आदत के
बारे में लिख कर पाठकों को
बताता हूँ
ताकि सब आपको पहचान लें
आपकी चाल से आप को ही मात दें
इसलिए अपना नाम निरंतर रखा है
उस दिन के बाद से
हँसमुखजी सबको सलाह देते हैं
किसी से भी बेसिर पैर की
ताकि सब आपको पहचान लें
आपकी चाल से आप को ही मात दें
इसलिए अपना नाम निरंतर रखा है
उस दिन के बाद से
हँसमुखजी सबको सलाह देते हैं
किसी से भी बेसिर पैर की
बात नहीं कहनी चाहिए
केवल कहने के लिए भी
केवल कहने के लिए भी
कोई बात नहीं कहनी
चाहिए
25-02-2012
247-158-02-12
No comments:
Post a Comment