Monday, February 13, 2012

गलती मेरी ही थी

बहुत दिन
बाद नज़र आयी
सुन्दर साड़ी पहनी
हुयी थी
हाथों में हीरे की चूड़ियाँ
चमचमा रही थी
हँस हँस कर लोगों से
बातें कर रही थी
चेहरे की चमक धुंधली
पड चुकी थी
सुर्ख लाल आँखें
कुछ और कहानी कह
रही थी
रात भर सोयी ना थी
दिल की
हकीकत बता रहीं थी
हमसे बेवफाई की
कीमत चुका रहीं थी
हमें देखा तो पास आयीं
सर झुका कर
नम आँखों से बोली
मुझे माफ़ कर दो
     गलती मेरी ही थी    
13-02-2012
162-73-02-12

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