आग दिलों में
लगी हुयी थी
निगाहें उनकी भी
तिरछी थी
निगाहें मेरी भी
तिरछी थी
ना वो मेरी सूरत
ठीक से देख सकी
ना मैं उनकी सूरत
ठीक से देख सका
नज़र से नज़र
ना मिल सकी
अधूरी मुलाकातें
यूँ चलती रहीं
दिल की हसरत
पूरी नहीं हुयी
इत्तफाकन
मुलाक़ात हो गयी
तो बड़े
भोलेपन से बोली
भाई जान
आपकी सूरत
जानी पहचानी
सी दिखती
12-02-2012
157-68-02-12
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