Friday, February 17, 2012

वो आ चुका है

दुनिया की
 निगाहों से बचते बचाते
वो जंगल के कौने में लगे
पेड़ के नीचे
उससे मिलने को आतुर
बेचैनी से
उसके इंतज़ार में
खडी थी
तभी उसने पीछे से
आकर
उसे बाहों में जकड लिया
वो खुशी में
इतने जोर से चीखी
जंगल के पत्ते पत्ते को
पता चल गया
अब वो अकेली नहीं है 
वो आ चुका है
17-02-2012
183-94-02-12

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