इतनी ज़ल्दी कैसे
भूल जाता है कोई
देख कर भी अनदेखा
करता है कोई
उम्मीदों के सपने
दिखाता है कोई
दिल लगा कर फिर
तोड़ता है कोई
ये कौन सा दस्तूर
निभाता है कोई
पुचकार कर फिर
जिबह करता है कोई
सारी हसरतें धूल में
मिलाता है कोई
मोहब्बत को बदनाम
करता है कोई
इतनी ज़ल्दी कैसे
भूल जाता है कोई
11-02-2012
150-61-02-12
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