Saturday, February 25, 2012

ज़िन्दगी किसकी रुकी है जो मेरी रुकेगी

ज़िन्दगी
किसकी रुकी है
जो मेरी रुकेगी
चाहे
घिसटते हुए चले
या कुलांचें
मारते हुए चले
ज़िन्दगी तो चलती
रहेगी
चाहे हँसते हुए चले
चाहे रोते हुए चले
शांती पूर्वक चले
या व्यथित हो कर चले
फर्क इतना ही पडेगा
समय के साथ चमकती
आँखों से जायेगी
या समय से पहले
बुझी आँखों से
जायेगी
25-02-2012
242-153-02-12

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