हम रात भर सोते रहे
सपनों की दुनिया में
उन्हें ढूंढते रहे
मगर आज वो आये नहीं
वक़्त-ऐ-सहर
भारी मन से आँखें खोली
तो वो सामने खड़े थे
मुस्कराकर कहने लगे
सपनों में रोज़ मिलते थे
हमने सोचा
निरंतर इंतज़ार को
हमेशा के लिए ख़त्म
कर दें
आपसे रूबरू मिल कर
आपकी मोहब्बत को
क़ुबूल कर लें
आपके सब्र का
अब और इम्तहान
ना लें
16-02-2012
176-87-02-12
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