घर के बगीचे में
जब चमेली की बेल
फूलों से लदती है
अपने को
रोक नहीं पाता
उसके पास जाकर
खडा हो जाता हूँ
घंटों उनकी सुगंध
सूंघता हूँ तो
मदमस्त हो जाता हूँ
मुझे महसूस होता है
तुम मुझसे से दूर नहीं हो
तुम्हारी चोटी में
बंधी हुयी
चमेली की वेणी
सदा ऐसी ही खुशबू
बिखेरती थी
मुझे तुम्हारी
कमी तो खलती है
पर सोचता हूँ
तुम्हारी पसंद को
अपनी पसंद बनाने से
तुम्हारी आत्मा को
सुकून मिलता होगा
तुम दूर आकाश से
चमेली के फूल के प्रति
मेरी आसक्ति देख कर
खुश होती होगी
मेरी उम्मीद बढ़ती है
शायद तुम कभी
चमेली का
फूल बन कर ही
बगीचे में खिल जाओ
चमेली की सुगंध में
तुम्हारी सुगंध भी
घुलमिल जाए
मुझे फिर से
मदमस्त कर दे
21-02-2012
214-125-02-12
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