Tuesday, February 7, 2012

आरजू अभी मिटी नहीं

किसी से
शिकवा शिकायत नहीं
किस्मत ही कुछ ऐसी है
जो समझ सके मुझको
ऐसा कोई मिला ही नहीं
आरजू अभी मिटी नहीं
होंसला भी कम हुआ नहीं
उम्मीद अब भी बाकी है
कहीं तो कोई कली
ऐसी भी होगी
जो अब तक कहीं
खिली नहीं
मेरे दिल के बगीचे में
आकर बस जायेगी
मुझे अपना समझ
अपनायेगी
मेरे सब्र का सिला देगी
अपनी महक से
मुझे सरोबार करेगी
चेहरे को मुस्काराहट से
सजायेगी
07-02-2012
120-31-02-12

1 comment:

***Punam*** said...

ऐसा कोई मिला ही नहीं
आरजू अभी मिटी नहीं
होंसला भी कम हुआ नहीं
उम्मीद अब भी बाकी है

ummeed banaye rakhiye...
poori bhi hogi...