अब थक गया हूँ
समझ नहीं आता
किस से पूँछू
क्यों ऐसी किस्मत
लेकर आया हूँ ?
गम-ऐ-दिल अब
तूँ ही बता मैं क्या करूँ
कैसे हाले-ऐ-दिल
बयान करूँ
कब तक रोता रहूँ ?
ग़मों का
बोझ ढोता रहूँ
किस की पूजा
इबादत करूँ?
किस रास्ते पर चलूँ ?
बचा वक़्त
सुकून से काट सकूँ
कुछ लम्हे
हँस कर जी सकूँ
09-02-2012
131-42-02-12
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