जब सूरज
थका मांदा सा
ढलने वाला हो
पहाड़ों के पीछे
छुपने वाला हो
शाम धीरे धीरे
कदम बढ़ा रही हो
मेरे चेहरे पर
मायूसी छाने लगे
उस वक़्त
अगर वो आ जाए
मेरी आँखों की चमक
लौट जाए
चेहरा दमकने लगे
वो आगे बढ़ कर
मेरी पलकों को
चूम ले
मैं चाँद सितारों के
बीच पहुँच जाऊं
खुद को ज़न्नत का
फ़रिश्ता समझने लगूं
उसे खुदा का दर्ज़ा
दे दूं
03-02-2012
101-11-02-12
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