Friday, February 3, 2012

उसे खुदा का दर्ज़ा दे दूं


जब सूरज
थका मांदा सा
ढलने वाला हो 
पहाड़ों के पीछे
छुपने वाला हो
शाम धीरे धीरे
कदम बढ़ा रही हो
मेरे चेहरे पर
मायूसी छाने लगे
उस वक़्त
अगर वो आ जाए
मेरी आँखों की चमक
लौट जाए
चेहरा दमकने लगे
वो आगे बढ़ कर
मेरी पलकों को
चूम ले
मैं चाँद सितारों के
बीच पहुँच जाऊं
खुद को ज़न्नत का
फ़रिश्ता समझने लगूं
उसे खुदा का दर्ज़ा
दे दूं
03-02-2012
101-11-02-12

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