Thursday, February 2, 2012

तुम्हें बदलना होगा ........


एक दफनाई हुयी
आवाज़ से कम नहीं
मेरी आवाज़
कितना भी चिल्लाऊं
कोई सुनता ही नहीं
निरंतर आवाज़ लगाता हूँ
अब तो बदल जाओ
सदा इच्छा रखते हो
जैसा तुम चाहते हो
वैसा ही हो जाए
जो तुम कहो सब मान लें
पर तुम नहीं बदलोगे
किसी की नहीं सुनोगे
किसी की नहीं मानोगे
इतना स्वार्थ मत रखो
तुम चाहते हो
तुम्हारी भावनाओं का
ध्यान रखा जाए
तुम्हारी कामनाओं को
पूरा करा जाए
अपने ह्रदय से पूछों
यह कैसे
संभव हो सकता है ?
क्यों भूल जाते हो
कुछ पाने के लिए
कुछ देना पड़ता है
दूसरों की भावनाओं का
ध्यान रखना पड़ता है
उनकी बात को भी
सुनना पड़ता है
अब समय आ गया है
इच्छाओं को पूरा करना है
तो ह्रदय के बंद कपाट को
खोलना होगा
हँस कर दूसरों को भी
सुनना होगा
उनकी भावनाओं का भी
सम्मान करना होगा
उन्हें गले लगाना होगा
तुम्हें बदलना होगा
तुम्हें बदलना होगा .......
02-02-2012
99-09-02-12

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