Friday, February 10, 2012

ना रुका हुआ हूँ, ना चल रहा हूँ

ना रुका हुआ हूँ
ना चल रहा हूँ
जीवन के चक्रव्यूह में
फंसा हुआ हूँ
रुक कर विश्राम
करना चाहता हूँ
तो कोई करने नहीं देता
आगे बढ़ने के लिए
धक्का दिया जाता
आगे बढना चाहता
तो पीछे से
खींच लिया जाता
विचित्र झंझावत में
फंसा हुआ हूँ
अपनों के मोह से
बंधा हुआ हूँ
सोचता हूँ सब्र से
काम लूं
चुपचाप सहता रहूँ
जब सब थक कर
बैठ जायेंगे
तब तय
कर लूंगा
आगे जाऊं या रुक कर
विश्राम करूँ
10-02-2012
135-46-02-12  

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