Thursday, May 19, 2011

उसकी खुशबू


उसकी खुशबू
जहन से नहीं हटती
निरंतर
मदहोश करती रहती
कोई और
खुशबू अब नहीं भाती
चारों तरफ बिखरी
उसकी खुशबू 
कितना भी समेटू कम
नहीं होती
जितना समेटू उतनी ही
फैलती
ख़्वाबों में ले जाती
नींद उडाती उसकी
खुशबू
19-05-2011
889-96-05-11

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