अचानक
नज़र उस पर पडी
आँखें अटक गयीं
पलकें खुली रह गयीं
बंद होने का नाम
नहीं ले रहीं
मोहिनी सूरत उसकी
आँखों में बस गयी
गंदुमी रंग,
तीखा नाक नक्श,
सुर्ख काले बालों ने
दिल मोह लिया
बिना जान पहचान
दिल उसका हो गया
उसने देखा मुस्करा कर
बालों को झटका दिया
और मुंह मोड़ लिया
झट से खिड़की का
दरवाजा बंद किया
तब से निरंतर
उस सड़क पर निकलना
खिड़की खुले,वो दिख जाए
दो बातें हो जाए
इस इंतज़ार में
घंटों खडा रहना
खुदा की इबादत सा
ज़रूरी हो गया
शाम को मुंह लटका कर
लौटना
आदत में शुमार हो गया
कभी तो खिड़की खुलेगी
वो फिर दिखेगी
इस उम्मीद में
वक़्त काटना मजबूरी
हो गया
11-05-2011
836-43-05-11
No comments:
Post a Comment