Saturday, May 21, 2011

हवस की कोई उम्र नहीं होती

आते देख
मन ही मन खुश 
हुयी
अस्सी की उम्र 
लगती थी 
सहारे  के लिए
हाथ में लकड़ी थी
बाल सफ़ेद
नज़र का चश्मा 
लगाए

धीरे धीरे 
चल रहा था 
उसे देख
खुद से कहने लगी
किसी और काम से
आया होगा ?
कुछ समय तो शांती से
बीतेगा
निरंतर हवस का
शिकार होने से
कुछ पल तो बचेगी
वो आया,
भूखे शेर सा टूट पडा
शरीर को नोचने लगा
उसे पता नहीं था
हवस की कोई उम्र
नहीं होती
हवस इंसान के जहन में
बसती
इंसान की फितरत
चेहरे से नहीं दिखती 
21-05-2011
903-110-05-11

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