Thursday, May 12, 2011

दिल से उनकी मोहब्बत के सिवा सब मिट जाए


अब उनका हर ख़त
जला देता हूँ
उसमें लिखे हर लफ्ज़ को
ज़हन में लिख देता हूँ
मोहब्बत के हर इज़हार को
दिल में ज़ज्ब करता हूँ
उनके अक्स को
खुद के चेहरे में मिलाता हूँ 
उम्मीद में रहता हूँ
जब भी शीशा देखूं
निरंतर वो ही नज़र आयें
ख्यालों में
उनके खतों में लिखे
लफ्ज़ ही रह जाएँ
दिल से
उनकी मोहब्बत के
सिवा सब मिट जाए
12-05-2011
845-52-05-11

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